Wednesday, 2 May 2018

सरकार ने न्यूनतम मजदूरी तो बढ़ाई पर अधिकाश क्षेत्रों में इसका क्रियान्वयन नहीं, मॉनीटरिंग का अभाव :लेबर वेलफेयर फाउंडेशन



नई दिल्ली: आज से 130 साल पहले अमेरिका के शिकागो में 8 घंटे काम का नियम बनवाने के लिए सडकों पर आकर संघर्ष किया था, लेकिन अमेरिका की उस समय की सरकार व् कारखाने के मालिकों ने मजदूरों की मांग मानकर मजदूरों के जुलूस पर गोलियां चलाई थी.इसी परिप्रेक्ष्य में विश्व मजदूर दिवस के अवसर पर लेबर वेलफेयर फाउंडेशन एवं यूपीएससी विंग रामजस कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय के सौजन्य से श्रमिकों से सम्बंधित विभिन्न विषयों पर सेमिनार हेतु आज हमलोग जुटे हैं. स्वतंत्र पत्रकारिता, सूचना का अधिकार (RTI) एवं समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी के दौरान महसूस हुआ कि आज देश में मजदूर एवं किसान शोषण के शिकार हैं. इसका मूल कारण इस वर्ग हेतु सरकारी कल्याणकारी योजनाएं ज्यादातर  कागजी फाईल तक सीमित है.
कार्यक्रम के प्रथम सत्र का विषय न्यूनतम मजदूरी,द्वितीय सत्र का विषय मजदूरों के अधिकार, तीसरे सत्र का विषय असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की समस्या एवं चौथा सत्र इंदु आर्ट थियेटर के सौजन्य से शंकर शेष द्वारा लिखित एवं मधुमिता घोष द्वारा निर्देशित मजदूरों की व्यथा पर आधारित नाटक पोस्टर का मंचन था.कार्यक्रम का उद्घाटन रामजस कॉलेज के प्राचार्य द्वारा दीप प्रज्वलन कर  किया गया. प्रथम सत्र की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एवं वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने किया. अपने संबोधन में उन्होंने आप्रवासी मजदूरों की व्यथा एवं सरकार के रवैये पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम के मुख्य संयोजक तथा लेबर वेलफेयर फाउंडेशन के मुख्य ट्रस्टी एवं आरटीआई एक्टिविस्ट गोपाल प्रसाद ने श्रमिकों की समस्याओं पर सर्वप्रथम शिकायत दर्ज करवाने एवं श्रमिकों के अधिकार हेतु जनजागरूकता बढ़ाने एवं आरटीआई के प्रयोग पर जोर दिया. दूसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए अनलॉक कम्युनिकेशन प्राईवेट लिमिटेड के निदेशक राजेश पराशर ने  श्रमिकों की समस्याओं पर आधारित अपने पीपीटी के माध्यम से पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन दिया. महावीर बंसल ने मजदूरों की समस्याओं के निदान के संबंध में अपने व्यापक अनुभव साझा की. उन्होंने नाटक के कलाकारों को प्रोत्साहित करने हेतु 500 रुपये का नकद पुरस्कार भी दिया. तीसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए लोक जनशक्ति पार्टी के मजदूर सभा के अध्यक्ष रामजी सिंह ने अट्टालिकाओं की नींव रखनेवाले निर्माण श्रमिकों , असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की विभिन्न समस्याओं पर विस्तार से प्रकाश डाला. सुभाष विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल सुभाष ने मजदूरों के वर्गीकरण करने पर रोष व्यक्त करते हुए इसे विदेशी साजिश करार दिया , वहीं एनजीओ गुरु के संस्थापक एवं सीए राजेश वर्मा ने मजदूरों के तीन वर्गों में विभाजित करने की प्रक्रिया का समर्थन किया. रामजस कॉलेज में लॉ एंड गवर्नेंस के प्राध्यापक डॉक्टर धनीराम ने अगड़े -पिछड़े  में विभाजित कर,  बैकलॉग वैकेंसी पर नियुक्ति नहीं करने, एक साल से अधिक तक पोस्ट खाली रहने पर पद समाप्त करने , निजीकरण एवं कॉन्टैक्ट नियुक्ति की सरकारी साजिश पर विस्तार से प्रकाश डाला. इस कार्यक्रम में दिल्ली के डॉक्टर जय सिंह आर्य एवं अलीगढ़ से पधारे गाफिल स्वामी ने मजदूरों पर आधारित कविता से सबक मैन मोह लिया. जिसकी सभी श्रोताओं ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की.यूपीएससी विंग रामजस कॉलेज के अध्यक्ष रजत अरोड़ा ने जिज्ञासा व्यक्त किया कि यदि हम विदेश में भारत से मानव संसाधन नहीं भेजेंगे तो हमारी विदेशी मुद्रा भंडार पर असर नहीं डालेगा? उनकी जिज्ञासा का समाधान अजय कुमार एवं राजेश वर्मा ने किया. लेबर वेलफेयर फाउंडेशन के ट्रस्टी प्रवीण दत्त चतुर्वेदी एवं राकेश डूमरा ने आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापन किया तथा अतिथियों और नाटक के कलाकारों को श्वेतु इंटरनेशनल के सौजन्य से पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक पौधे का गमला देकर सम्मानित किया.

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