मोहाली : प्लाक्षा विश्वविद्यालय और तबरीद इंडिया, आईएफसी के टेकइमर्ज प्रोग्राम के सहयोग से, फेज चेंज मैटेरियल-थर्मल एनर्जी स्टोरेज (पीसीएम-टीईएस) तकनीक पर आधारित एक नवाचारपूर्ण और सतत कूलिंग समाधान का पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर रहे हैं। यह पहल भारत में बढ़ती कूलिंग की मांग, बिजली ग्रिड पर दबाव और कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस प्रोजेक्ट की मुख्य बातें बढ़ती कूलिंग मांग और स्थायित्व को कम करना है। भारत में एयर कंडीशनिंग घरेलू बिजली खपत का लगभग 30% उपयोग करता है। पीसीएम-टीईएस तकनीक सौर ऊर्जा से दिन में कूलिंग ऊर्जा संचित करती है और रात में जारी करती है, जिससे पारंपरिक बिजली पर निर्भरता कम होती है।
प्लाक्षा विश्वविद्यालय में इस प्रोजेक्ट को 220 कमरों वाले हॉस्टल भवन में लागू किया जा रहा है। क्रायोजेल-आधारित पीसीएम का उपयोग उच्च घनत्व वाली थर्मल स्टोरेज के लिए किया गया है। इसे सौर ऊर्जा (सोलर पीवी सिस्टम) के साथ एकीकृत किया गया है, जो स्वचालित नियंत्रण प्रणाली चार्ज-डिस्चार्ज चक्र को अनुकूलित करती है।
इस साझेदारी का उद्देश्य बिजली ग्रिड पर भार कम करना और कार्बन उत्सर्जन को घटाना है।इसके साथ ही सतत कूलिंग तकनीकों के बाज़ार को बढ़ावा देना और नई व्यावसायिक रणनीतियों को विकसित करना और कूलिंग उपभोग की आदतों में बदलाव लाना है।
इस मौके प्लाक्षा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विशाल गर्ग ने कहा कि पीसीएम-टीईएस तकनीक भारत में आवासीय कूलिंग क्षेत्र में क्रांति ला सकती है। नवीकरणीय ऊर्जा और थर्मल स्टोरेज को जोड़कर, हम लागत प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल कूलिंग समाधान प्रदान कर सकते हैं।
तबरीद एशिया के प्रबंध निदेशक सुधीर पेरला ने कहा कि यह प्रोजेक्ट हमारे स्थायी और कुशल कूलिंग समाधानों को विकसित करने के दृष्टिकोण के अनुरूप है। पीसीएम-टीईएस तकनीक भारत और अन्य देशों में कूलिंग सेक्टर में बदलाव ला सकती है।
यह पहल प्लाक्षा विश्वविद्यालय, तबरीद इंडिया और आईएफसी के टेकइमर्ज प्रोग्राम के कूलिंग इनोवेशन लैब (सीआईएल) के व्यापक सहयोग का हिस्सा है। यह ग्रिड-स्वतंत्र इमारतों और परिसरों के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम है और ऊर्जा दक्षता व सतत विकास को बढ़ावा देता है।
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